मुगल कल और जाट योद्धे
मुगल काल में जब औरंगजेब दौर जुल्म की इन्तहा पे था तब मुगलो की राजधानी दिल्ली के निचे 1660 के आसपास जाटों के गोकुला चूड़ामन राजाराम जाट उनके वाद बदन सिंह सूरजमल जबाहर सिंह जेसे जाट योद्धाओं ने भरतपुर और ब्रज में मुगल सत्ता के सामने दीवार खड़ी कर दी ।।
एक के बाद एक सूरमा अपना सर कटा रहा था
बल्लभगढ़ बिलकुल दिल्ली तले है जहां जाटो ने अपनी रियाशत बना डाली और राजा नाहर सिंह इस रियाशत के नरेश ने 136 दिन दिल्ली को अंग्रेजो से मुक्त रखा सन् 1857 कक क्रांति और दूसरी तरफ इसी दौरान जटिस्तान यूपी से बाबा साहमल तोमर ने डंका बजा डाला था ।।
जाटों ने मुगलो को चारो और से घेर लिया था
एक बार 1756 में महाराजा सूरजमल ने दिल्ली जीती मुगलो से दुबारा उनके बेटे जबाहर सिंह ने 1764 में ।।
और वहीं दूसरी तरफ पंजाब में खालसा सेना के कमांडर बनके जाटो ने काबुल कांधार तक मुगलो की अकड़ निकाल दी ।।
1756 में ही पंजाब में बाबा दीप सिंह ने हजारो स्त्रियों को मुगलो के चंगुल से छुड़ाया और दोनों शाहीबजादो की मोत का बदला लिया ।।
एकदौर महाराजा रणजीत सिंह का भी जब मुगल अफगानिस्तान तक ललकारे गए और कुछ मुगलो ने अपनी जाती ही बदल ली की कहीं सर कलम ना हो जाए
महराजा रणजीत सिंह के सेनापति हरी सिंह नालबा जिनका मुगलो में इतना ख़ौफ़ की वो अपनी रियाशत तक छोड़ के भाग गए थे ।।
जय हो जाट देवताओ की
जय बाबा भोले नाथ
जय जाट कौम
जिन्दाबाद जाट कौम
कुलदीप पिलानिया बाँहपुरिया
बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश ।।
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