दिल्ली की कुतुबमीनार :- जाटो की यादगार

दिल्ली की कुतुब मीनार जाटों की यादगार हमने तो इतिहास बनाया, लिखा नहीं।मिटाने वालों ने बहुत किया, पर मिटा नहीं॥में आपको बता दूँ की जाट ने इतिहाश ही नही भूगोल भी अति सुन्दर बनाया है पर इतिहाश के साथ साथ हमारा भूगोल भी बदल दिया गया । आज तक यही प्रचारित किया जाता रहा है कि दिल्ली की कुतुब मीनार कुतुबुदीन ऐबक ने बनाई थी जो सच्चाई के कहीं भी पास नहीं है। कुतुबुदीन ने अवश्य 1206 से 1210 तक दिल्ली पर शासन किया, लेकिन इस अवधि में जाटों ने कभी उसे चैन से नहीं बैठने दिया। दिपालपुर रियासत के राजा जाटवान (मलिक गठवाला गोत्री जाट) ने ऐबक को पूरे तीन साल तक नचाये रखा, जब तक वह महान् जाट योद्धा लड़ाई में शहीद नहीं हो गये।जाटों की सर्वखाप पंचायत की सेना ने ऐबक की सेना को वीर योद्धा विजय राव ‘बालियान’ की अगवाई में उत्तर प्रदेश के भाजु और भनेड़ा के जंगलों में पछाड़ा, दूसरी बार वीर यौद्धा भीमदेव राठी की कमान में बड़ौत के मैदान में पीटा, तीसरी बार वीर यौद्धा हरिराय राणा की कमान में दिल्ली के पास टीकरी में भागने के लिए मजबूर किया। ऐबक को मीनार तो क्या अपने लिए महल व किला बनाने का समय तक जाटों ने नहीं दिया। फिर इतनी सुंदर मीनार भला वो कैसे बनाता ।।इस मीनार को जाट सम्राट् चन्द्रगुप्त मौर (विक्रमादित्य) के कुशल इंजीनियर वराहमिहिर के हाथों चौथी सदी के चौथे दशक में बनवाया था। यह मीनार दिलेराज जाट दिल्ली के राज्यपाल की देखरेख में बना था। दिलेराज़ जाट जो दिल्ली के राज्यपाल थे उन्ही के नाम से इन्द्रप्रस्थ का नाम बाद में दिल्ली पड़ा । वो बहुत दिलेर जाट थे जनता उन्हें प्यार से दिल्लू कहती थी । तब कहावतो और स्मृतियों में दिल्लू की दिल्ली बोला जाने लगा था ।ग्रह नक्षत्र विज्ञान के आधार पर बनाया गया। यह मीनार जब साल में दो बार दिन-रात बराबर होते हैं तो इसकी छाया धरती पर नहीं पड़ती, क्योंकि यह पांच अंश दक्षिण में झुकी हुई है। मुसलमानों व मुगलों का शासन आया तो इसे दिशासूचक मीनार समझकर इसे ‘कुतुब मीनार’ कहा गया क्योंकि अरबी भाषा में दिशासूचक को कुतुब कहते हैं। आज भी समुद्री जहाजों में दिशासूचक को कुतुब कहते हैं। इसी के पास लगा लोहे का स्तम्भ भी उसी समय का है।गुप्त सम्राटों का गोत्र धारण था जबकि ऐबक का गोत्र जोहिया इसलिए इस मीनार का नाम ‘धारण मिनार’ या ‘जौहिया मीनार’ या ‘जाट मीनार’ होना चाहिए। यदि लोग यह मीनार कुतुबुदीन ऐबक की बनवाई मानते हैं तो मैं दावे से लिख रहा हूं कि ऐबक भी जौहिया गोत्री जाट था। इसका प्रमाण पाकिस्तान की पुस्तक “Extract from Distt. And States Gazetteer of Punjab Pakistan” के Vol-II (खण्ड दो) Research Societyof Pakistan University of Punjab Lahore में दिया गया है, जिसके ‘मुलतान’ अध्याय के पेज नं० 132 पर है।यह ग्रन्थ पाकिस्तान सरकार की संस्था Trust Property Board of Pakistan का है। इसका दूसरा संस्करण नवम्बर 1983 में छपवाया जिसके प्रिंटर अफजल-लाहौर हैं। इसी पुस्तक में वहां के जाटों के सभी गोत्र भी लिखे हुए हैं, जो लगभग सारे हमारे गोत्रों से मिलते हैं। इसी पुस्तक में लिखा है कि शेख जलाल दाहिमा गोत्री जाट ने अकबर के विरुद्ध विद्रोह किया था। इसी गोत्र का सादूल खां जाट शाहजहां का प्रधानमन्त्री था।प्रसिद्ध क्रान्तिकारी शहीद बन्तासिंह भी इसी गोत्र के सिख जाट थे। इसलिए यह प्रमाणित तथ्य है कि यह मीनार जाटों ने ही बनवाई थी।(पुस्तक - ‘सर्व खाप पंचायत का राष्ट्रीय पराक्रम’ व ‘भारतीय इतिहास का-एक अध्ययन’, जाट इतिहास पुस्तक आदि-आदी)जाग जट्टा जाग तेरा इतिहाश ही भूगोल भी मिटा के रख दिया ।। ( ऐसे ही आगरा के लाल किला महाराजा आंनगपाल तोमर ने बनवाया था अगली पोस्ट में ))
कुलदीप पिलानिया बाँहपुरिया
बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश

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