जट्टा तेरे हाथ तेरे भाग .......


 बाबा चौधरी चरण सिंह जी, महाराजा सूरजमल जी, बाबा महाराजा रणजीत सिंह जी, बाबा साहमल तोमर जी, सर छोटूराम जी और अन्य सभी जाट महापुरुषों को कोटि कोटि नमन!!
कुछ ध्यान देने योग्य बातें जरूर पढ़ें
☆☆☆जाट कौम अभी भी गुलाम है☆☆☆
सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रमों में इतिहास विषय में राजपूत,
मराठा आदि का इतिहास पढ़ाया जाता है लेकिन महाराजा
सूरजमल व महाराजा रणजीत सिंह जेसे जाट शूरवीरो का नाम तक नहीं है ।
अर्थात् पाठ्यक्रमों से जाट इतिहास नदारद है । इतिहास में केवल इतना ही लिखा कि जाट लूटेरे थे लिखा अंग्रेजों ने और दुनिया की सबसे बड़ी जाट नस्ल को शुद्र कहा आपके ब्राह्मणों ने ।। इस प्रकार की नीति
एक गुलाम समाज के प्रति ही अपनाई जा सकती है ।।
इसलिए जाट समाज को किसी भी प्रकार से आजाद नहीं कहा जा सकता ।
सन् 1947 के बाद जाटों ने अपनी 26 रियासतों का भारत संघ में
विलय इस विश्वास के साथ किया था कि भारत सरकार उनकी
संस्कृति, पहचान, अधिकारों व इतिहास की सुरक्षा करेगी ।
लेकिन कहां है वह सुरक्षा? आप सब जानते हो याद होगी फ़रवरी 2016
आज हमारे खाने-पीने व मनोरंजन तक पर मनुवादियों ने पूरा कब्जा कर लिया है यहां तक कि धार्मिक कार्य भी इन्हीं के अनुसार करते हैं । हमारी प्रत्येक गतिविधि इनके नियन्त्रण में है ।
यह अघोषित गुलामी है । इस सच्चाई को हमें स्वीकार करना होगा ।
हमारे जाट नेता वोट के लिए भीख के कटोरे लेकर दूसरी जातियों के सम्मेलनों में
जाते हैं और हमारे वोटों को बंधक और गुलाम समझते हैं । इसी का
उदाहरण है कि कल्पना चावला के नाम से हरियाणा में मेडिकल कॉलेज बन गया जो विदेशी नागरिक थी और विदेश में ही मरी ।।
जबकि कारगिल में देश के लिए मरने वालों के नाम शहीद मेंडिकल कॉलेज नहीं रखा, यही तो इस गुलामी का दिवालियापन है ।
क्योकि युद्ध में शहीद होने बाले सबसे ज्यादा जबान धरतीपुत्र किसान जाट की बेटे थे ।
अब प्रश्न पैदा होता है कि वर्तमान हालात में जहां पर लोकतन्त्र के नाम पर निजी स्वतन्त्रता के बहाने शहरों में रहने वाले किसी भी व्यापारी को मनमाने ढंग से लूट की जो पूरी आजादी प्राप्त है, उस अघोषित गुलामी से जाट कौम जो आज भी 90 प्रतिशत गांव में रहती है,
गुलामी क्या होती है? जो कौम आजाद नहीं उसे ही गुलाम कहा जाता है और गुलामी की परिभाषा विद्वानों ने अंग्रेजी
में इस प्रकार है - "Slavery does not merely mean a legalized
form of subjection. It means a state of society in which
some men are forced to accept from other the purpose
which control their conduct." अर्थात् 'दासता का मतलब केवल
राज्य का वैधता प्राप्त रूप ही नहीं है, इसका अर्थ समाज की
वह स्थिति है जिसमें कुछ लोगों को दूसरे से ऐसे उद्देश्य लेकर अपनाने के लिए विवश कर दिया जाता है जो उनका व्यवहार नियंत्रित करते हैं ।
आज हमारे साथ भी यही हो रहा है कि हमें कानूनी तौर पर दूसरों की जीवन शैली अपनाने पर मजबूर किया जा रहा है ।
फिर हम आजाद कहां हैं ?
वे संवैधानिक ढांचे में रहते हुए आजादी कैसे मिले ?
हमें जानना होगा कि चौ० छोटूराम की विचारधारा को
जीवित करना होगा तभी जाट कौम आजाद होगी ।।
रे मेरे राम तू के सोया तेरी सारी कौम घोर निद्रा में सो गयी ।।
जाग जट्टा जाग।
तेरे हाथ तेरे भाग ।।

टिप्पणियाँ

Most viewed

राजस्थान के जाटो का इतिहाश व् उनका आपस में बैर

महाराजा सूरजमल जी की मोत का बदला उनके पुत्र महाराजा जबाहर सिंह जी द्वारा

जट अफलातून - महाराजा सूरजमल