वजीराव मस्तानी और जाट महाराजा सूरजमल जी

# जाटराजा सूरजमल ने दी थी। बाजीराव की मस्तानी को पनाह बहुत कम लोग जानते होंगे कि करीब 250 साल पुरानी इस प्रेम कहानी की नायिका मस्तानी ने भरतपुर में आखिरी सांस ली थी।किसी जमाने में देश के मशहूर शायरों और लेखकों की प्रेम कहानियों मे शुमार रही मस्तानी के भरतपुर से सम्बंध को लेकर लोगों के जेहन में भी उत्सुकता बढ़ा दी है। मशहूर लेखक जयदेव की कहानियों में जगह बनाने वाली मस्तानी से जुड़े कुछ अहम तथ्य सामने आये हैं जिनका जुड़ाव राजस्थान के भरतपुर से है।बाजीराव की मस्तानी के भरतपुर शहर के मोरी चारबाग इलाके में आज भी सराय के अवशेष मौजूद हैं और इस प्रेम की आखिरी निशानी यानी बाजीराव-मस्तानीके एकमात्र पुत्र शमशेर बहादुर कि सराय भी वहीं मौजूद है। इस सराय को अब मस्जिद शमशेर बहादुर के नाम से जाना जाता है। भरतपुर शहर में मथुरा गेट स्थित मस्तानी की सराय इतिहास के अनेक स्वर्णिम पन्नों से जुड़ी है।इतिहासकारों का कहना है कि अपने आखिरी क्षणों में बाजीराव की मस्तानी भरतपुर में आकर रहने लगी थी। भरतपुर के जाटों और मराठों के बीच सम्बंधों की मधुरता को समेटे 17 वीं शताब्दी की चर्चित प्रेमकहानी के ये आखिरी तथ्य हैं जों इस शहर का बच्चा बच्चा जानता है। इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि मस्तानी एक रूपसी का नाम था, जो मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम की प्रेमिका थी। मस्तानी की खूबसूरती के चर्चे दूर दूर तक रियासतों में थे।मराठाओ में सबसे बहादुर और महान हुए बाजीराव कई कलाओं के माहिर थे। उनकी जांबाजी भी उस दौर में हर किसी की जुबान पर हुआ करती थी। अपने समय की रूपसी महिला मस्तानी पर बाजीराव इस कदर मोहित और आसक्त हुए कि एक-दूजे के होने के बाद उनका विछोह उनके अंत का कारण बना।दरअसल मस्तानी बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल बुंदेला की मुस्लिम पत्नी की बेटी थी। राजसी ठाटबाट पली मस्तानी नृत्य और गायन में जितनी निपुण थी उतनी ही रणभूमि में दुश्मनों को पराजित करने में भी दक्ष थी। दोनों जांबाजों के बीच प्रेम का उद्गार इसी बात का परिचय है। फिल्म में भी बाजीराव और मस्तानी का किरदार शौर्य से सुसज्जित दिखाया गया है।मस्जिद शमशेर बहादुर के मौलाना अब्दुल सलाम ने बताया कि अपने निर्वासित जीवन के समय मस्तानी भरतपुर मे रहने लगी थी और भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल ने भी बाजीराव-मस्तानीकी उस समय मदद भी की थी जब वे बुरे दौर से गुजर रहे थे।।
कुलदीप पिलानिया बाँहपुरिया
बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश 

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