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जाट वीरांगना रानाबाई के शाहस की वीरगाथा

जाट वीरांगना रानाबाई की शाहस की वीरगाथा सम्राट् अकबर के शासनकाल में वीरांगना रानाबाई थी, जिसका जन्म संवत् 1600 (सन् 1543 ई०) में जोधपुर राज्यान्तर्गत परबतसर परगने में हरनामा (हरनावा) गांव के चौ० जालमसिंह धाना गोत्र के जाट के घर हुआ था। वह हरिभक्त थी। ईश्वर-सेवा और गौ-सेवा ही उसके लिए आनन्ददायक थी। उसने अपनी भीष्म प्रतिज्ञा आजीवन ब्रह्मचारिणी रहने की कर ली थी, इसलिए उसका विवाह नहीं हुआ। हरनामा गांव के उत्तर में 2 कोस की दूरी पर गाछोलाव नामक विशाल तालाब के पास दिल्ली के सम्राट् अकबर का एक मुसलमान हाकिम 500 घुड़सवारों के साथ रहता था। वह हाकिम बड़ा अन्यायी तथा व्यभिचारी, दुष्ट प्रकृति का था। उसने रानाबाई के यौवन, रंग-रूप की प्रशंसा सुनकर रानाबाई से अपना विवाह करने की ठान ली। उसने चौ० जालमसिंह को अपने पास बुलाकर कहा कि “तुम अपनी बेटी रानाबाई को मुझे दे दो। मैं तुम्हें मुंहमांगा इनाम दूंगा।” चौ० जालमसिंह ने उस हाकिम को फ़टकारकर कहा कि - “मेरी लड़की किसी हिन्दू से ही विवाह नहीं करती तो मुसलमान के साथ विवाह करने का तो सवाल ही नहीं उठता।” हाकिम ने जालमसिंह को कैद कर लिया और स्वयं सेना लेकर रा

स्पेन (रोम) में जाट और उनका साम्राज्य

** स्पेन में जाट ** एलरिक/अलारिक वैन रोम की गद्दी पर बैठने वाला पहला जाट था (इनका जन्म 370 ई.) किन्तु वह पुरे रोम पर राज्य नही कर सका । अनेक शाहसी गाथ(जाट) योद्धाओ ने गाल पर आक्रमण किए । जाट प्राचीन शासक लेखक बी एस दहिया पृष्ठ 80 पर लिखते हैं "जाट राजा इयुयिक 466 से 484 ई तक स्पेन व् पुर्तगाल का शासक रहा । उसके शासनकाल में शिवि गोत्री जाटों को इन्हीं के भाई जाटों ने स्पेन से निकलकर रूम सागर पार करके अफ्रीका में चले जाने को विवश किया । (इससे स्पस्ट होता है की शिवि जाट अफ्रीका में भी पहुंचे ) स्पेन पुर्तगाल में राजा इयूरिक का पुतद एलरिक द्वितीय जाटो का आठवां राजा था जो 24 दिसम्बर 484 को अपने पिता का उत्तराधिकारी बना (स्पेन में इसने बहुत अछि कानून व्यवस्था की जो "स्रोत संग्रह" के नाम से प्रसिद्ध है) 711 ई में तरीक की अध्यक्षता में मुसलमानो ने स्पेन में जाटों पर चढ़ाई की । उस समय जाटों का नेता रोडरिक(रूद्र) था ।बह युद्ध में हार गया और बर्बर मुसलमानो का स्पेन और गाल पर अधिकार हो गया । (जाट इतिहास पृ 188-189 लेखक ठा देशराज) इसके बाद फिर स्पेन पर जाटों का राज्य रहा जिसका