चौ. छोटूराम जी पर एक विशेष रागनी ।।
छोटू (छोटूराम) ने सन् 1896 में सांपला के प्राईमरी स्कूल से बोर्ड की पांचवीं की परीक्षा पास करी। रोहतक जिले में प्रथम स्थान प्राप्त करके वजीफा लिया। यह खुशखबरी सुनाने के अपने पिता सुखिया के पास दौडा हुआ जाता है और क्या कहता है। ऊपरातली की रागनी। एक कली छोटू। दूसरी पिता सुखिया। मैं हुया पांचमी पास जिले में पहला आया सूं सिर पुचकार मेरा बाबू मैं वजीफा ल्यायाआसूं। मास्टर जी नैं खूब पढाया देकै ध्यान पिता। जिंदगी भर नां उतर सकै उसका एहसान पिता। उस धोरै हो आइये एक बै ले मेरी मान् पिता। मदद करणियां का चाहिए करणा सम्मान पिता। मोहनलाल जी की कृपा तैं मैं हुया सवाया सूं। 1। सिर पुचकार मेरा बाबू मैं वजीफा ल्याया सूं। चोखी बात करी रै छोटू मैं ऊंचा ठा दिया। कुटम कबीले सारे में मैं सिखर चढा दिया। तनैं जिसी करी थी मेहनत हर नैं फल पकड़ा दिया। आशिर्वाद मास्टर का बी सफल बणा दिया। पहल्यम जाण्या नहीं कदे मैं इसा सुख पाया सूं। 2। सिर पुचकार मेरा बाबू मैं वजीफा ल्याया सूं। इब और पढ़ाई आगे की मैं करणा चाहूं सूं। तालीम की किस्ति चढ कै जग तैं तिरणा चाहूं सूं । बणा मिसाल अपण्यां कै आगै धरणा