महाराजा सूरजमल जी की मोत का बदला उनके पुत्र महाराजा जबाहर सिंह जी द्वारा
महाराजा सूरजमल जी की धोके से म्रत्यु के बाद का इतिहाश
(महाराजा सूरजमल जी का इतिहाश निचे comment में link में पढ़ सकते हैं)
महाराजा की म्रत्यु का सन्देश जब भरतपुर पहुंचता है तो महारानी क्या कहती हैं अपने बेटे से :-----“तुम पगड़ी बांधे फिरते हो और वहां शाहदरा के झाऊओं में तुम्हारे पिता की पगड़ी उल्टी पड़ी है!” - महारानी किशोरी देवीएक जीत, सम्मान, शौर्य और प्रतापी तेज की भूखी शेरनी जाटणी का यही वो तान्ना था जिसने उनके सुपुत्र महाराजा जवाहर सिंह को भारतेंदु बना दिया।यही वो रूदन था जिसको सुन अपने पिता की अकस्मात मौत के बदले हेतु एक लाख सेना के साथ रणबांकुरे जवाहरमल ने सीधा दिल्ली पर हमला दे बोला।महाराजा सूरजमल की बहादुर रानी जिसने लाल किले की चढ़ाई में भाग लिया तथा पुष्कर में भी की जीत का कारण बनी तथा वहां जाट घाट बनवाया।जब 1763 में महाराजा सूरजमल शाहदरा के पास धोखे से मारे गये तो महारानी किशोरी (होडल के प्रभावशाली सोलंकी जाट नेता चौ. काशीराम की पुत्री) ने महाराजा जवाहर सिंह को एक ही ताने में यहकहकर कि "तुम पगड़ी बांधे फिरते हो और वहां शाहदरा के झाऊओं में तुम्हारे पिता की पगड़ी उल्टी पड़ी है!”, युद्ध के लिए तैयार कर दिया। महाराजा जवाहर सिंह ही पहले हिन्दू नरेश थे जिन्होंने आगरे के किले और दिल्ली के लाल किले को जीतकर विजय-वैजयन्ती फहराई थी और भारतेंदु कहलाये।दिल्ली के लाल किले के युद्ध में जब किसी भी तरह किला फतह न हो पा रहा था तब महाराजा जवाहर सिंहके मामा और महारानी किशोरीबाई के भाई वीरवर बलराम जाट ने किले के फाटकों के लम्बे-लम्बे कीलों पर छाती अड़ा हाथी के मस्तिष्क पर बड़े-बड़े तवे बन्धवा पीलवान से हाथी हूलने को कहा। हाथी की मार से किले के किवाडों और तवों के बीच में बलराम जाट का शरीर निर्जीव हो उलझ गया पर उनके अमर बलिदान से अजेय दुर्ग के फाटक टूट गए और वह जीत लिया गया।कई महीनों के घेरे के बाद, जब जवाहर सिंह ने लालकिला दिल्ली के किवाड़ तोड़ डाले तो, आखिरकार दिल्ली में अहमदशाह अब्दाली के द्योतक बादशाह नजीबुद्दीन जाट-महाराजा के रौद्र-रुपी क्रोध के आगे संधि को मजबूर हुए।पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों को हराने वाला अहमदशाह अब्दाली भी जाट-क्रोध के आगे लूटती दिल्ली को अवाक देखता रहा; और नजीबुद्दीन की मदद को आने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। इसपे कहा गयाकि “जाट के क्रोध को या तो करतार थाम सके या खुद जाट”।मुग़ल बादशाह ने मुग़ल राजकुमारी का महाराजा जवाहर सिंह से ब्याह (जिसको बाद में जवाहर सिंह ने फ्रेंच-कैप्टेन समरू को प्रणवा दिया), युद्ध का सारा खर्च वहन करने की संधि की।महाराणा प्रताप और अकबर की लड़ाई में अकबर चित्तौड़गढ़ के किले के प्रवेश द्वार के जो किवाड़ उखाड़ दिल्ली में ले आया था, उन्हीं किवाड़ों को दिल्ली से वापिस छीन जाट-सूरमा वापिस जाट-राजधानी भरतपुर ले आये; और इस तरह राजपूती सम्मान का भी बदला लिया। उस जमाने में चित्तौड़गढ़ ने यही दरवाजे आज की कीमत में लगभग 9 करोड़ रूपये के ऐवज में वापिस मांगे तो लोहागढ़ (भरतपुर) ने कह दिया कि मान-सम्मान की कोई कीमत नहीं हुआ करती; फिर भी किवाड़ चाहियें तो ऐसे ही ले जाओ जैसे हम दिल्ली से लाये हैं। आज भी वह किवाड़ भरतपुर किले में लगे हुए हैं।काश लेखकवर्ग व सिनेमावर्ग हमारे इतिहास के अध्यायों को दिखाने में ईमानदार होता तो उनको ऐसे एपिसोड जिसमें भारतीयों ने आक्रान्ताओं और विदेशी शासकों को बेटियां दी के जरिये ही अपनी अपंग वीरता बघारने के अपंग-फूटे किस्सों से काम ना चलाना पड़ता। आज भी अगर जाट इतिहास को कोई सिनेमा उठा ले तो विश्व को जान पड़े कि भारत के राजा सिर्फ बेटियां दिया नहीं करते थे, अपितु ऐसे भी राजा हुए जिनको विदेशी शासकों की बेटियों से विवाह के न्यौते मिला करते थे और वो उनको महाराजा जवाहरमल की तरह आगे बढ़ा दिया करते थे। और साथ ही यह भी पता लगता है कि भारतीय राजा सिर्फ विरोध करते हुए जंगलों में भूखे नहीं मारे जाया करते थे अपितु दुश्मन के माथे पर चढ़ उसके मान-मर्दन की बोटियाँ भी बिखेरा करते थे।
जाग जट्टा जाग
पुरखो नू पहचान
अपनी ताकत पहचान
तू उस कौम में जाया है जिसने दिल्ली में झंडे गाड़ दिए ।।
#कुलदीप_पिलानिया_बाँहपुरिया
बुलंदशहर उत्तर प्रदेश
Keelo par chhati adaane wala bale tanwar Gurjar tha, bhai
जवाब देंहटाएंwo tanwar gurjar nhi the
हटाएंunka nam pakhariya kuntal tha or wo kuntal(khootela) jat the
mene
itihas achche se pda h
rajasthan ke durg or kile book
or jaato ka itihas
or jat jati ka naveen itihas
sabhi books m clearly likha h
pakhariya kuntal ka nam
He was kuntal पुष्कर सिंह तोमर,,,,of gunsara rajasthan,,,
हटाएंBilkul sahi jato ka koi jabaw nahi jisne rajputo ki maryada bhi rakhi or Kabhi kisee ke adhin nahi hua jai ho samrajay jai tejaji
जवाब देंहटाएंआपकी दी हुई जानकारी सराहनीय है। महाराजा सूरजमल के बारे में कुछ मैंने भी लिखा है। आप मेरी वेबसाइट पर जाकर पढ़ सकते हैं। अपनी राय से अवगत भी कराएं।
जवाब देंहटाएंhttps://historypandit.com/maharaja-surajmal/
Kivad kise dhatu ke the
जवाब देंहटाएंsurajmal se phle jaat nahi the kya,,, jawahar 1 lakh se jayda sanik lekar pushkar gya tha, taaki unke mother sanan kar sake,,,par aate hue unko hara diaaur maar dia. Aapko ye bhi batana chaiye ki sirf apni maa ki protection k liye 1 lakh se jayda sanik nahi leke gye balki waha k raja ne kaha ki aapki maa aakar sanan kar sakti h, us baat ko bhi nahi mana.
जवाब देंहटाएंAchchhi aur behad jaruri jaankaari di gayi bhai aapke dwaara👌👍
जवाब देंहटाएंBhai saab chitodgadh kile ke dwar aalaudeen khilji leke gya tha ratansingh se youdh ke smy jo wapis jawaharmal ji laye bhartpur wale
जवाब देंहटाएं1303 mai Alauddhen ne ratan singh ko hra kar darvajo ko delhi le aaya tha Alaudhen
जवाब देंहटाएं