जट राजा बदन सिंह


राजा बदनसिंह
Badan Singh (बदन सिंह) (1722 – 1756) was the formal founder of the princely state of Bharatpur (भरतपुर). He was nephew of Churaman. After the death of Churaman on 22 September 1721 there were family disputes between Badan Singh and Mohkam Singh, son of Churaman. Badan Singh aligned with Jai Singh of Jaipur to avoid the anger of Mohkam Singh. In this family feud Jai Singh supported Badan Singh.
राजा बदन सिंह के 26 लड़के थे
जिनमे सबसे बड़े महाराजा सूरजमल थे
जो जट अफलातून कहलाए ।।

राजा बदन सिंह
ठाकुर देशराज लिखते हैं कि सवाई महाराज जयसिंह जी से इनका बड़ा मेल-जोल था। अधिकांश समय उनका जयपुर ही में बीतता था। जयपुर में उनके नाम से एक स्थान बदनपुरा भी है। संवत् 1775 में यह डीग के मालिक बने। डीग में उन्होंने अच्छी-अच्छी इमारतें बनवाई और कुम्हेर में सुदृढ़ दुर्ग का निर्माण कराया।

राजा बदनसिंह लड़ाई-झगड़े की अपेक्षा राज्य-व्यवस्था में अधिक संलग्न रहे।

1.हिस्ट्री ऑफ जाट्स, कालिकारंजन कानूनगो कृत

जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृष्ठान्त-639

फिर भी उन्होंने अठारह लाख की आमदनी का जयपुर का इलाका प्राप्त कर लिया और कुछ हिस्सा आगरे की ओर दबा लिया। कामर के सरदार चौधरी मोहनराम और सहार के रईस की लड़की से शादी करने के कारण इनका प्रभाव मथुरा जिले पर हो गया था। आपने अपने दूसरे पुत्र प्रतापसिंह को वैर का मालिक बनाया। महाराजा सूरजमल इनके सभी पुत्रों में श्रेष्ठ थे। अठारह लड़कों की संतानें कोठरी-बन्द के नाम से मशहूर हैं। आपको जयपुर के महारज जयसिंह सवाई ‘ब्रजराज’ कहा करते थे।

राजा बदनसिंह जी का स्वर्गवास संवत् 1812 विक्रमी में हुआ था। उस समय श्री सुजानसिंह उपनाम सूरजमल जी 22 वर्ष के थे ।।
#jatpride
कुलदीप पिलानिया बाँहपुरिया
बुलंदशहर; उत्तर प्रदेश

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