माता अमृता देवी बेनीवाल जी - एक महान जाटणी (जाट जननी)

माता अमृता देवी बेनीवाल

1787 में राजस्थान के मारवाड (जोधपुर) रियासत पर राजा अभय सिंह राजपूत का राज था। उनका मंत्री गिरधारी दास  भण्डारी था।
उस समय  महराण गढ़ किले में फूल महल नाम का राजभवन का निर्माण किया जा रहा था। महल निर्माण के दौरान लकड़ियों की आवश्यकता पड़ी तो महाराजा अभय सिंह ने मंत्री गिरधारी दास  भण्डारी को लकडियों की व्यवस्था करने का आदेश दिया , मंत्री गिरधारी दास  भण्डारी  की नजर महल से करीब 24 किलोमीटर दूर स्थित गांव खेजडली पर पड़ी। मंत्री गिरधारी दास  भण्डारी  अपने  सिपाहियों के साथ  1787 में भादवा सुदी 10वीं मंगलवार के दिन  खेजडली गांव पहुंच गए।

उन्होंने रामू जाट (खोड़) के व्यक्ति के खेजड़ी के वृक्ष को काटना आरंभ कर दिया। कुल्हाड़ी की आवाज सुनकर रामू खोड की पत्नी अमृता बेनीवाल घर से बाहर आई। उसने बिशनेई धर्म के नियमों का हवाला देते हुए पेड़ काटने से रोका लेकिन सिपाही नहीं माने। इस पर अमृता बेनीवाल पेड़ से चिपक गई और कहा कि पहले मेरे शरीर के टुकड़े-टुकड़े होंगे-इसके बाद ही पेड़ कटेगा।

राजा के सिपाहियों ने उसे पेड़ से अलग करने की काफी कोशिश की परंतु अमृता टस से मस नहीं हुई। इसके बाद सिपाहियों ने अमृता पर ही कुल्हाड़ी चलाना आरंभ कर दिया। अमृता बिश्नोई के अंग कट-कट कर जमीन पर गिरने लगे ।

अपनी माता के बलिदान को देखकर उसकी तीन पुत्रियों  आसू जाट ,भागु जाट और रत्नी जाट ने भी इसी प्रकार बलिदान दे दिया।
ऐसी महान वीर पराक्रमी महान आत्माओ से हमारी आज बहन/बेटियों को सीख लेने की आवश्यकता है ।आज आवश्यकता है ऐसी महान आत्माओ के विचारों को अपने आचरण में पालन करने की ।।
माता अमृता देवी बेनीवाल अमर रहे ....
जय जाट जननी
जय जाट पुरख
कुलदीप पिलानिया बाँहपुरिया
(जाटिज्म आला जट)

टिप्पणियाँ

Most viewed

राजस्थान के जाटो का इतिहाश व् उनका आपस में बैर

महाराजा सूरजमल जी की मोत का बदला उनके पुत्र महाराजा जबाहर सिंह जी द्वारा

जट अफलातून - महाराजा सूरजमल