भरतपुर महाराजा कृष्ण सिंह (किशन सिंह)

भरतपुर महराजा कृष्णसिंह (किशन सिंह)
 सन् 1925 ई. में पुष्कर में होने वाले जाट-महासभा के अधिवेशन के प्रेसीडेण्ट थे। महाराज को इस बात पर बड़ा अभिमान था कि मैं जाट हूं। वह अपने जातीय गौरव से पूर्ण थे उन्होंने कहा था-“मैं भी एक राजस्थानी निवासी हूं। मेरा दृढ़ निश्चय है कि यदि हम योग्य हों तो कोई शक्ति संसार में ऐसी नहीं है जो हमारा अपमान कर सके। मुझे इस बात का भारी अभिमान है कि मेरा जन्म जाट-क्षत्रिय जाति में हुआ है। हमारी जाति की शूरता के चरित्रों से इतिहास के पन्ने अब तक भरे पड़े हैं। हमारे पूर्वजों ने कर्तव्य-धर्म के नाम पर मरना सीखा और इसी से, बात के पीछे, अब तक हमारा सिर ऊंचा है। मेरे हृदय में किसी भी जाति या धर्म के प्रति द्वेषभाव नहीं है और एक नृपति-धर्म के अनुकूल सबको मैं अपना प्रिय समझता हूं। हमारे पूर्वजों ने जो-जो वचन दिए, प्राणों के जाते-जाते उनका निर्वाह किया था। तवारीख बतलाती है कि हमारे बुजुर्गों ने कौम की बहबूदी और तरक्की के लिए कैसी-कैसी कुर्बानियां की हैं। हमारी तेजस्विता का बखान संसार करता है। मैं विश्वास करता हूं कि शीघ्र ही हमारी जाति की यश-पताका संसार भर में फहराने लगेगी।”
सम्मान
दिल्ली दरबार स्वर्ण पदक-1 9 11
नाइट कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया (केसीएसआई) -1926
बेल्जियम के क्राउन के आदेश के ग्रैंड ऑफिसर -1926
महाराजा किशन सिहं ने मारवाड और शेखावटी इलाके मै जाट समुदाय को आजादी अलख जगाई उनको जागरुक किया भरतपुर मै ब्रज भाषा और हिन्दी भाषा का इस्तेमाल इन्होंने सर्वप्रथम किया अपने राज मै पांचवी तक शिक्षा अनिवार्य की तथा बेगार प्रथा बंद की  दलित भेदभाव को हटाया
ऐसे वीर प्रतापी उच्च विचार वाले महाराजा को बार बार प्रणाम
जय जाट महान
जय जाट पुरख
कुलदीप पिलानिया बाँहपुरिया
(जाटिज्म आला जट)
बाँहपुर, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश ।।

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