भोला किसान

रे आके देख धरा पे भोले
किसान के हालाँ ने
आँख खोल के देख ले भोले
सरकारां की चालां ने
किसान बीच आके भोले
समझादे सारे लालां ने
रे यो जाड़ा गर्मी खेत कमावे
फिर भी पेट इसका भरता ना
मार दिया इन सरकारां ने
अर तू भी टेम ते बरसता ना
भोले जे तू सुनले मेरी पुकार
ते किसान बिन आई मोत मरता ना ।।

कुलदीप पिलानिया जाट
बुलंदशहर उत्तर प्रदेश 

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