1857 जाट क्रांति के शहीदों के बारे में पढ़ें

1857 जाट क्रांति (पुरा लेख अवश्य पढ़ें)
बड़ौत- बागपत ~ यह क्षेत्र खापों का क्षेत्र है यहां आज भी 84 गाँवो का संघ है इसे तोमर 84 के नाम से जाना जाता है । ये छः थम्ब हैं 14-14 गांव केयह बड़ौत चोरासी इसका पहला चौधरी सलकपाल का छोटा बेटा राव देशपाल तोमर था ।बाबा शाहमल तोमर के नेतृत्व में इस क्षेत्र में जो खाप पंचायत हुई थी उसमे तीन अहम फैसले लिए गए थे --
1. अंग्रेजो को किसी प्रकार की आपूर्ति न होने देना
2. क्रान्तिकारियो को खाने-पीने के लिए सामान की आपूर्ति करना
3.मेरठ और दिल्ली के सम्पर्क मार्गो को ठप्प करना ।
।इस युद्ध में शहीद हुए वीर योद्धा
* बाबा शाहमल तोमर (इनके बारे में पिछली ब्लॉग पोस्ट में पढ़ सकते हैं)
*राजा नहर सिंह तेवतिया (इनके बारे में आप पिछली ब्लॉग पोस्ट में पढ़ सकते हैं)
*भगत सिंह - बाबा शाहमल तोमर का भतीजा इन महान क्रन्तिकारी ने डनलप के ऊपर धावा बोला था लेकिन वह बाल बाल बच गया । बाबा की शहादत के पश्चात भगत ने सूरजमल के साथ मिलकर आखरी डदम तक संघर्ष जारी रखा
* चौधरी श्यो सिंह - उस समय के खाप के चौधरी श्यो सिंह तथा उनके पुत्र गोविन्द सिंह दोनों बाबा के खास सहयोगी थे । ये तीनो क्षेत्रके गांव गांव घूमकर अंग्रेजो के बिरुद्ध जनता को तैयार कर रहे थे । उस समय श्यो सिंह की "बाबा भारा" की हवेली साहमल के मुख्य कार्यालय का काम दे रही थी । इसी हवेली में क्षेत्र के सभी क्रन्तिकारी इकट्ठा होते थे।
* चो सूरजमल - यह बाबा का खास नजदीक साथी था । यह खेकड़ा की पट्टी जिसमे 16 परिवार थे इनका मुखिया था इन्होंने उस समय गोरों था कई मेमो को बन्दी बना लिया था । बाबा और नाहर सिंह की सहादत के बाद इनकी पट्टी को द्रोही घोषित किया गया और अंग्रेजो ने इनके पूरे परिवार को फांसी की सजा सुनाई लेकिन पहलवान महारम के आग्रह पर पूरेपरिवार की फांसी को माफ़ कर दिया गया किन्तु चो सूरजमल को फाँसी पर लटका दिया गया ।
* चो निरपत सिंह व लाजराम - ये भी इसी क्षेत्र के जाट शूरमा थे और बाबा के खास विश्वास पात्र थे । इन दोनों ने फ्रांसु के ठिकाने पर हमला कर गोरो को मोत के घात उतारा और फ्रांसु को बन्दी बना लिया था (हरचंदपुर का फ्रांसु गोरो को आसरा देता था)
* बख्ता व जग्गा - इन दोनों जाट शूरमाओं ने भी बाबा का साथ दिया और बाबा के पोते लिज्ज राम के नेतृत्व में अंग्रेजो को मोत के घात उतारा था ।जब अंग्रेजो की मेरठ की सेना ने बड़ौत पर हमला किया तो इन्होंने लज्जा राम के नेतृत्व में बड़ी दिलेरी व बहादूरी से अंग्रेजो का मुकाबला किया था । जब अंग्रेजी सेना बुढ़ाना की तरफ अपनी विजय पताका फहराती हुई आगे बढ़ रही थी तव इन योद्धाओ ने अपने क्रन्तिकारी किसानो के साथ अंग्रेजी फौज को हराया और बुढ़ाना पर अपनी जीत का परचम फहरा दिया । लेकिन बुढ़ाना पर पुनः अंग्रेजी सेनाका अधिकार होने पर इन दोनों क्रान्तिकारियो को फाँसी पर लटका दिया गया और इनके परिवार को भी मोत के घात उतार दिया गया ।
* चौधरी लिजजा मल तोमर - ये बाबा के पोते थे ।जब बाबा शाहमल तोमर को पकड़ लिया गया और उनके शरीर के अनेको टुकड़े कर दिए गए उनका सिर काट लिया गया और भाले की नोक पर रखकर चोरासी में घुमाया गया इससे खाप में बगाबत की चिंगारी और भी तेज हो गयी । शाहमलतोमर के साथ ही उनके बेटे को भी बन्दी बना लिया गया था । उस समय खाप चोरासी ने बाबा शाहमल के पोते लिज्ज़ा राम को अपना नेता माना तथा अंग्रेजो के बिरुद्ध अपना संघर्ष जारी रखा । 23 अगस्त 1857 को लिज्ज़ा राम ने फिर अंग्रेजो को ललकारा था ।बड़ौत के जाट किसान अंग्रेजो को कर नही देते थे वह अंग्रेजो की नजरो में खटकते थे, लिज्ज़ा राम से कर लेने आए अधिकारी को मोत के घाट उतार दिया गया और उसकी पूरी टीम पर हमला बोलर कुछ को मोत के घाट उतार दिया गया और कुछ जान बचाकर भागने में कामयाब रहे ।यह देखकर अंग्रेजो ने लिज्ज़ा राम को कुचलने का मन बनाया अंग्रेजो के खाकी रिसाले ने पांचली,बुजुर्ग,नगला और फुपरा पर चढ़ाई कर क्रान्तिकारियो को दबा डाला और इसी लड़ाई में लिज्ज़ा राम और उसके 32 साथियो को गिरफ्तार कर लिया तथा फाँसी पर चढ़ा दिया ।इस संग्राम में 2000 (दो हजार) लोगों की हत्या की गयी और 200 ग्राम वासियो को जिन्दा जला दिया था ।बाबा शाहमल के मुख्यलय को कार्यालय की हवेली को नस्तेनाबूद कर दिया । लोगों को गांव की चोपाल में फंसी के फंदे पर झूला दिया गया ।इस क्षेत्र के 31 गाँवो को बागी करार दिया गया था (ये सभी जाटों के गांव ही हैं)
** एक ही दिन में बिजरोल के 32 लोगों को एक साथ फांसी पर चढ़ा दिया गया था इनमे बाबा के पुत्र दिलसुख उर्फ़ दिल्लू भी शामिल थे ।।
* अलीपुर दिल्ली - इस गांव के जाटों भी 1857 के संग्राम में अग्रिमपंक्ति में लड़े थे इन्होंने नाहर सिंह के नेतृत्व में अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध किया ।क्रांति बिफल होने पे अंग्रेज अधिकारी मैटकाफ ने तोपों से लैस होकर सारे गांव को घेर लिया तथा 70 जाटों को गिरफ्तार कर लिया तथा वर्तमान धोला कुआँ के पास ले जाकर पत्थर से भरी रोलरों से पीस डाला ।इस ही दिन इस गांव के 70 जाट योद्धाओ को मोत के घात उतार दिया गया ।।
* मुजफ्फनगर - इस क्षेत्र के गांव पुरकाजी तथा साथ लगते कई गाँवो नेअंग्रेजो के विरुद्ध खाप के आदेश पर हमले बोले और अनेक गोरों को मोत के घाट उतार दिया था ।क्रांति के बिफल होने के पश्चात इस क्षेत्र से अंग्रेजो ने 500 ( पांच सो) व्यक्तियो को गिरफ्तार किया तथा पुरकाजी कस्बे में एक बागजिसको आज तक सूली बाग़ कह कर पुकारा जाता है, में फांसी पर लटकाया था ।।एक ही दिन में 500 (जिनमे अधिकतर जाट और जाटणी भी थी) को फाँसी पर लटका दिया गया ।।
* भगवानी देवी - यह वीरांगना है जिसने 225 नारियो का जत्था बना कर दिल्ली में अंग्रेजो से लड़ाई लड़ी थी इनमे भी अधिकतर जाटणी वीरांगनाएँ ही थी इन सभी को भी फाँसी पर लटका दिया गया ।।
लिखते लिखते आँखों में आंसू आ गए बाकी जाटों की वीर गाथा आगे बताऊंगा ।।
हमारे सेकड़ो चिराग बुझ गएअपने देश का चिराग बचाते बचाते ।।
ये सब गद्दार गंगाधर के कारण हुआ और हमारा दुर्भाग्य की उसी गद्दारका पोता जबाहर लाल नेहरू देश का प्रथम प्रधानमन्त्री बना ।।जय जाट कौमशत शत नमन शहीदों न
जय जाट पुरख
कुलदीप पिलानिया बाँहपुरिया
(जाटिज्म आला जट)

टिप्पणियाँ

  1. कुलदीप जी क्रांतिकारियों के विषय मे जानकारी प्राप्त करने के लिये आपसे बात करनी है आपका मोबाईल न0 चाहिये
    मेरा न0 9917231947

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