देशभक्त मेजर जयपाल सिंह (आजादी की क्रांति में अहम योगदान)

देशभक्त मेजर जयपाल सिंह मलिक
( आजादी की क्रांति में एक अहम योगदान)
मेजर सिंह कुरु प्रदेश में 1916 में एक गरीब जाट परिवार में जन्मे थे । देश की सेवा करने के लिए उन्होंने 1941 में ब्रिटिश आर्मी ज्वाइन की । और व्रिटिश सरकार के खिलाफ सेनिको को जागरूक किया ।इन्होंने सेनिको में एक क्रांति उतपन्न की ।
इन्होंने 300 सैनिक भारतीय कमांडिंग ऑफिसर का एक संगठन बनाया उस समय ये एयर सप्लाई यूनिट में लेफ्टिनेंट के पद पर थे ।इस संगठन का सेनिको पर बहुत गहरा प्रभाब पड़ा । और इनका उद्देश्य सशस्त्र विद्रोह करना था । यह अंग्रेजों के बिरुद्ध इतिहास लेख छपबाकर सैनिकों में बांटते थे । ये बंडलों को छबनियों के पास गिरा देते थे । इस प्रकार काफी दिनों तक इनका विद्रोह अभियान जारी रहा था ।
25 अगस्त 1942 को फ्रंटियर हिन्दू होटल दिल्ली में इन क्रन्तिकारी सेनिको की एक बैठक हुई ।
इस बैठक में मेजर सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा था की - "जब तक सेना और जनता एकजुट होकर किसी क्रन्तिकारी संगठन के निचे बगावत नही करते, तब तक परिणाम की दृष्टि से घटिया होते भी अंग्रेज गुण में श्रेष्ठ बने रहेंगे।"
इनके इन्ही विचारो से प्रेरित होकर सेना ने क्रंतिकारियो को 3000 हथियार दिए और मेरठ की एक यूनिट ने मोर्चे पर जाने से इंकार कर दिया था और चन्द्र सिंह गढ़वाली ने यूनिट के सत्याग्रहियों पर गोली चलाने से इंकार कर दिया था ।।
सन् 1943 में मेजर सिंह की रावल पिंडी में बदली हो गयी जहां भारतीय सेनिको का एक दूसरा संगठन "इंडियन सोल्जर्स बीग" सक्रिय था । इन्होंने इन दोनों संगठनो को एक कर लिया ।।
1947 में लीबिया में भी इन्हीं के प्रभाव व् साथियो ने अंग्रेजों से विद्रोह किया तथा अंग्रेजों पर गोली चलाई थी ।
7 जनवरी 1946 को इन्होंने मरी(पाक) से अपने समर्थको की एक बैठक बुलाई तथा फैंसला लिया की मार्च 1946 को सशस्त्र विद्रोह किया जाएगा । लेकिन गद्दारों की हमारे देश में कभी कोई कमी नही रही जिससे इस योजना का पता अंग्रेजो को दे दिया गया । अंग्रेजों ने कई यूनिटों के हथियार जमा करवा लिए । वायरलेस केन्दों पर तैनात भारतीय जवानों को हटाकर अंग्रेजों को नियुक्त कर दिया गया ।।
 इस सब को देखते हुए वो अक्टूबर 1946 में भूमिगत हो गए ।।
लेकिन इस सब के बाद मेजर सिंह कलकत्ता से एक साल बाद escape हुए और उन्होंने 1964 में कम्युनिस्ट पार्टी ज्वाइन की ।।
उसके बाद कांगेस सरकार ने उन्होंने 1970 में एक साल की जेल कराई (कांगेस का रूप)
वह 25 जनवरी 1982 में विजयवाड़ा में स्वर्गवास हो गए ।।
शत शत नमन ऐसे वीर क्रन्तिकारी महान पुरुष को
जय जाट
#कुलदीप_पिलानिया_बाँहपुरिया

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